नई शुरुआत संस्था की पहल शहर में बंद हो, भिक्षावृत्ति  भिक्षावृत्ति बंद करने के लिए कलेक्ट को दिया ज्ञापन 

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नई शुरुआत संस्था की पहल शहर में बंद हो, भिक्षावृत्ति   भिक्षावृत्ति बंद करने के लिए कलेक्ट को दिया ज्ञापन 

रतलाम/ D I T NEWS :- शहर में लगातार भिक्षावृत्ति करने वाले की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर में बाहर से आकर बड़े से लेकर बच्चे तक भिक्षावृत्ति के काम में लगे हुए है। भिक्षावृत्ति को लेकर मध्य प्रदेश भिक्षवर्ती निवारण अधिनियम 1973 कानून भी बनाया गया है। इसे फिलहाल हाल ही में इंदौर और उज्जैन में किया गया है। भिक्षावृत्ति को लेकर शहर की सामाजिक संस्था नई शुरुआत ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए रतलाम शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करवाने की बात कही। नई शुरुआत संस्था के अध्यक्ष हिम्मत जैथवार ने कलेक्टर राजेश बाथम को बताया कि रतलाम शहर में भिक्षावृत्ति करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर में कई महिलाएं भी ग्रामीण क्षेत्र से छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भिक्षावृत्ति कर रही है। शहर में कई जगह खान-पान की दुकानों और चौपाटी पर भी बच्चे भिक्षावृत्ति करते देखे जा रहे हैं जो आमजन को आए दिन परेशान करते हैं। अनुरोध है कि रतलाम शहर को भिक्षावृक्ति से मुक्त करवाया जाए। यह शहर की सुंदरता में एक दाग की तरह है। 

ऐसे लोग भिक्षावृक्ति करने वाले छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं। शहर में कई ऐसी संस्था है जो इन्हें भोजन कपड़े और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवा रही है। हमारी नई शुरुआत संस्था भी प्रतिदिन शाम को 300 से अधिक जरूरतमंदों को भोजन करवाती है। हमारी संस्था शहर में भिक्षावृत्ति को बंद करने के लिए पहल करना चाहती है। आप हमें संस्थान उपलब्ध करवाए ताकि हम ऐसे लोगों को वहां रखकर उनके रहने खाने पीने की व्यवस्था कर उनके जीवन को सुधारा जा सके। 

 मप्र भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है। इतना ही नहीं इस कानून में भिखारियों के पुनर्वास और उन्हें ट्रेनिंग देकर सामान्य जीवन में लौटने के उपाय करने का भी नियम है। इस कानून को पालन करवाने की जिम्मेदारी सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग की है। लेकिन अफसोस की बात है कि इस कानून के प्रावधान प्रदेश के 49 जिलों में लागू नहीं है। इसी वजह से न तो भिखारियों पर पुलिस कोई सख्त कार्रवाई कर पति है, सामाजिक न्याय विभाग अपनी जिम्मेदारी से दूर भागता हुआ दिखाई देता है।

 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के भीख मांगते पाए जाने पर उनके पुनर्वास और उनसे भीख मंगवाने वालों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी के पास है लेकिन विभाग न जाने क्यों आज तक खुद कभी कार्रवाई कर पाया। अब अगर कोई एनजीओ या समाजसेवी बच्चों को पकड़कर ला दे तो उसे चाइल्ड लाइन भेज दिया जाता है। वहीं 18 से अधिक उम्र के भिखारियों को लेकर सामाजिक न्याय विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन इनकी समस्या विभाग की प्राथमिकता में ही नहीं। रतलाम को भिक्षावृत्ति कानून में अधिसूचित नहीं करने की वजह से यहां पुलिस के पास भिखारियों को सीधे बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार भी ही नहीं हैं।