रतलाम जिले के संचित ने किया रतलाम जिले का दूसरा और अपने जीवन का पहला केंसर पीड़ित मासूम बच्चे लिए WBC डोनेशन किया
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रतलाम जिले के संचित ने किया रतलाम जिले का दूसरा और अपने जीवन का पहला केंसर पीड़ित मासूम बच्चे लिए WBC डोनेशन किया ।
अंत: अस्ति: आरंभ: !! सर्वस्यापि भवेद्धेतु:
D I T NEWS :- अरविंदो हॉस्पिटल इंदौर में भर्ती मरीज अनजान केंसर पीड़ित मासूम 8 वर्षीय बच्चे के लिए WBC डोनेशन के पूर्व इंजेक्शन लगवाने अरविंदो हॉस्पिटल पहुंचे और और रात्रि 12 इंजेक्शन लगवाया....
और अगले आज दिन आप अपने दोनो हाथो सुई लगवा कर डोनेशन की तीन घंटे की प्रक्रिया को पूरा कर अनजान मरीज को नया जीवनदान ।
नमन हैं संचित आपको
हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप आपकी सेवाओं को दिल से नमन करता हैं
बहुत बहुत धन्यवाद अंश भाई आप मासूम BMT बच्चो के लिए वरदान स्वरूप बने हुए हैं
इंदौर अरबिंदो हॉस्पिटल में भर्ती अनजान कैंसर पीड़ित आठ वर्षीय बच्चे यश जो की जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहा हैं
और WBC काउंट कम बचे ऐसे में डॉक्टरों ने (WBC) डोनेशन करने का निर्णय लिया अब उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी इस डोनेशन को करने के लिए रक्तदाता का मिलना, क्योंकि यह डोनेशन इतना कठिन और जटिल है कि परिवार तक इस डोनेशन को करने के लिए तैयार नहीं होता है ।
जब सब जगह से परेशान होने केबाद इंदौर के सक्रिय एसडीपी रक्तदाता ग्रुप के संचालक अंश विजयवर्गीय से संपर्क किया और उन्हें सारी समस्याएं बताकर उनसे मदद मांगी तुरंत उन्हें एसडीपी रक्तदाता के ग्रुप एक्टिव मेम्बर संचित जी रतलाम तैयार हुए
रात्री 11:00 बजे हॉस्पिटल पहुंचकर अपनी सारी जांच करवाकर डोनेशन करने के पूर्व अकाउंट बढ़ाने के लिए अपने शरीर में इंजेक्शन लगवा कर 1 बजे सभी कार्यो से निवृत होकर घर पहुंचे और अगले दिन 12:00 बजे अरविंदो हॉस्पिटल पहुंचकर डोनेशन प्रक्रिया प्रारंभ हुई और इस तरह 4 घंटे का डोनेशन पूर्ण हुआ और एक अनजान के लिए इंदौर रतलाम के रक्तवीर द्वारा अनजान बच्चे को नया जीवन दान दिया गया।
अंश विजयवर्गीय थेलेसिमिया बच्चो BTM केस में वरदान के रूप में उनके साथ होते है।।
व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC)
व्हाइट ब्लड सेल्स शरीर को बीमारियों से लड़ने के काबिल बनाता है। जब मानव शरीर पर जब बैक्टीरिया या वायरस हमला करते हैं, तब हमारे खून में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाएं उनसे डटकर सामना करती हैं, जिन्हें लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) कहते हैं। जब भी शरीर में कोई भी बैक्टीरिया या वायरस का हमला करता करता है, ये सबसे पहले सक्रिय होती हैं। इनका रंग सफेद या बेहद हल्के नीले रंग का दिखाई देता है।
सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) का निर्माण
सफेद रक्त कोशिका का निर्माण भी अस्थि मज्जा (bone marrow) में ही होता है। ये हीमैटोपोएटिक स्टेम सेल्स से बनी हुई होती हैं। इनमें अलग-अलग नेचुरल कीलर-सेल्स, बी-सेल्स और टी-सेल्स होते हैं।।
सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) की कमी से शरीर पर प्रभाव
यदि शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं कम हो जाए, तो शरीर में संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, जिससे बीमारी बड़ी आसानी से बढ़ने लगती है। शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए सफेद रक्त कोशिका बहुत जरूरी होती है।
रतलामी और इंदौरी रक्तवीरों की भी रही सराहनीय भूमिका
अंश विजयवर्गीय, अनिल रावल,
वेणु हरिवंश शर्मा, अक्षांश मिश्रा रोहित भरकुंदिया, हेमंत पाटीदार, राकेश पाटीदार, मनोज नायक, दीपक पाटीदार एवम हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप & टीम।।