नकली पुलिस ने असली पुलिस को फोन लगाया,असली वर्दी देख फोन काट दिया, आख़िरकार क्या है पूरा मामला जाने...

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नकली पुलिस ने असली पुलिस को फोन लगाया,असली वर्दी देख फोन काट दिया, आख़िरकार क्या है पूरा मामला जाने...

मध्य प्रदेश इंदौर/D I T NEWS :-  इंदौर समेत देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं, वहीं डिजिटल अरेस्ट के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें नकली पुलिस बन सीबीआई अधिकारी बन आरबीआई अधिकारी बन कई तरह से लोगों को वीडियो कॉल करके उन्हें धमकाते हैं और उनसे लाखों रुपए ठग लेते हैं, दर्जनों शिकायतें क्राइम ब्रांच में दर्ज हो चुकी हैं। लेकिन आज ऐसा वाकया हुआ कि नकली पुलिस वालों ने असली पुलिस के साथ डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की और असली वर्दी देख बदमाश के होश उड़ गए। दरअसल यह घटनाक्रम रविवार दोपहर 2 बजे का है। जहां एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया मीडिया को प्रेस ब्रीफिंग कर रहे थे इसी दौरान एक अनजान नंबर से उनके पास कॉल आया जब उन्होंने कॉल उठाया तो वह किसी बैंक का कस्टमर केयर अधिकारी बोल रहा था और कह रहा था कि उनके द्वारा मुंबई में क्रेडिट कार्ड बनवाया गया था जिसका एक लाख रुपए से अधिक का बकाया है और वह कहीं मिसयूज हो रहा है।


देश भर में लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब साइबर ठगों ने इंदौर के एडिशनल डीसीपी को डिजिटल अरेस्ट करने के लिए फोन लगा दिया। जानें आगे क्या हुआ...

लगातार वारदात सामने आ रही है। अब इस साइबर क्राइम के प्रति जागरुकता फैलाने वाले और कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारी को ही इसके लिए कॉल आ गया। लेकिन जब कॉल करने वाले ने उन्हें वर्दी में देखा तो तत्काल कॉल काट दिया।

 इनके साथ हुई घटना.... 

यह घटना एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच इंदौर राजेश दंडोतिया के साथ हुई। उन्हें डिजिटल अरेस्ट के लिए कॉल आया। लेकिन साइबर अपराधियों ने जैसे ही वर्दी में देखा वैसे ही कॉल काट दिया। दंडोतिया लगातार इस डिजिटल अरेस्ट को लेकर स्कूल व अन्य जगहों पर जाकर क्लास भी लेते हैं। डिजिटल अरेस्ट के लिए आए कॉल में चेताते हुए कहा गया कि आपके द्वारा क्रेडिट कार्ड से जो राशि निकाली गई, उसमें आपके खिलाफ आरबीआई से रिपोर्ट आई है। हम क्राइम ब्रांच से बोल रहे हैं। फिर उन्होंने वीडियो कॉल किया, लेकिन जब दंडोतिया को वर्दी में देखा तो चौंक गए।

 ठगों ने डीसीपी सुनते ही कट गया फोन...

कॉल करने वालों ने पूछा कि यह कौन है तब उन्होंने कहा कि मैं स्वयं क्राइम ब्रांच में एडिशनल डीसीपी हूं। इसके बाद तत्काल फोन कट गया। एडिशनल डीसीपी दंडोतिया ने कहा कि जागरुकता ही इस तरह के केस में बचाव है। बेवजह के कॉल को काट दिया जाना चाहिए, साथ ही साइबर क्राइम को फोन कर इसकी सूचना दी जाना चाहिए, ताकि इनकी जानकारी निकालकर गैंग को पकड़ा जा सके। ठगों से बात करते एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया का वीडियो भी सामने आया है।

 वही डिजिटल अरेस्ट का एक मामला रतलाम में भी सामने आया है....

रतलाम के रिटायर्ड कॉलोनी निवासी एक युवक के पास अनजान नंबर से कॉल आता है और कॉलर खुद को दिल्ली पुलिस अधिकारी बताकर युवक को कहते है कि आपके खाते में 80 लाख का इलीगल फंड आया है। आपके विरुद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया है। फर्जी पुलिस अधिकारी द्वारा युवक को हाउस अरेस्ट या डिजिटल अरेस्ट के नाम के नाम पर धमकाते हुए युवक से अपनी बैंक डिटेल्स और बैंक बैलेंस की जानकारी मांगी।

 पीएम ने भी समझाया...... 

पीएम ने फिर समझाया डिजिटल अरेस्ट नहीं होता उधर, पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर मन की बात में समझाया कि डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं। इसके पहले शो में भी पीएम मोदी ने कहा- हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि सरकार में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। पीएम मोदी ने बताया कि यह एक खुला झूठ और लोगों को फंसाने की साजिश है। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचाव के लिए नागरिकों से अपील की थी कि ऐसे कॉल्स से बचने के लिए "रुको, सोचो और एक्शन लो" का फॉर्मूला अपनाएं।

 क्या है डिजिटल अरेस्ट और कैसे किया जाता है यह स्केम.... 

 डिजिटल अरेस्ट..जाने

गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको घर में ही कैद कर देते हैं।

वीडियो कॉल कर अपना बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन की तरह दिखाते हैं।

ऑनलाइन मॉनिटरिंग करते हैं कौन कहां जा रहा है।

बैंक अकाउंट सीज कर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।

ऐप डाउनलोड कराकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवाए जाते हैं।

डमी अकाउंट बताकर उसमें पैसों का ट्रांजेक्शन कराया जाता है।

बढ़ते मामले नहीं आया इतना पैसा....

मिली जानकारी के अनुसार इंदौर समेत देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अधिकांश मामलों में आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं और उन्नत तकनीक होने के बावजूद पुलिस पीड़ितों के जीवनभर की जमापूंजी वापस नहीं दिलवा पा रही है। एक जनवरी से अभी तक इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के 28 मामले आए हैं और पुलिस सिर्फ सात आरोपियों को पकड़ पाई है। दो करोड़ 40 लाख रुपए की राशि लूटी गई है जिसमें से पुलिस 70 लाख की राशि दिलवा पाई है और एक करोड़ 70 लाख रुपए की राशि नहीं मिल पाई है।